By Alka
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Gulabo Sapera वह महिला है जिन्हें जन्म लेने के कुछ ही घंटे में दफना दिया गया था. उन्होंने बहुत संघर्ष किया लेकिन कभी भी हार नहीं मानी. अपनी मेहनत के बलबूते उन्होंने देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी सफलता का परचम लहराया. साल 2016 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था. आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे Gulabo Sapera के संघर्ष की कहानी जो हर महिला को इंस्पायर करेगी.
संस्कृति के उद्देश्य से अगर देखा जाए तो राजस्थान बहुत ही समृद्ध है. राजस्थान का घूमर और कालबेलिया नृत्य सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. कालबेलिया नृत्य को विदेशों में पहचान दिलाने वाली शख्सियत का नाम है पद्मश्री Gulabo Sapera. इनके अतीत की कहानी बहुत ही भयावह है. लेकिन इसके साथ बहुत ही इंस्पायरिंग भी.
Gulabo Sapera को जिंदा एक गड्ढे में दफन कर दिया गया था
जन्म लेते ही Gulabo Sapera को जिंदा एक गड्ढे में दफन कर दिया गया था. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. नियति उनसे कुछ और ही करवाना चाहती थी. वह धनतेरस का दिन था जब उन्होंने इस दुनिया में पहली बार आंखें खोली थीं. राजस्थान के अजमेर जिले के कालबेलिया जनजाति में जन्म लेने के बाद माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध उनके समुदाय के लोगों ने दबाव बनाकर गुलाबो को जमीन में दफन कर दिया.
लेकिन मां की ममता और मौसी की सूझबूझ और पिता के अत्यंत प्रेम ने उन्हें बचा लिया. Gulabo Sapera का जन्म 1970 में घूमंतू कालबेलिया समुदाय में हुआ था. जिस Gulabo Sapera के रास्तों पर उनके समाज ने कांटे बिछाए थे उसी कालबेलिया समाज के लिए Gulabo Sapera आज मान सम्मान और अभिमान बनकर खड़ी हैं.
गुलाबो नाम उनके पिता ने दिया था. Gulabo Sapera का पूरा जीवन आने वाली पीढियां को यह सीख देता है कि अगर मन में दृढ़ इच्छा शक्ति और संकल्प है तो समाज की कुरीतियां आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं. समाज के दकियानूसी रिवाज के चलते कुछ महिलाओं ने उन्हें जिंदा जमीन में गाड़ दिया था. लेकिन आज वो सफलता की नई उंचाइयों को छू रही हैं.
बीन की धुन पर सांपों संग नाचती थी Gulabo Sapera
Gulabo Sapera के बचपन की अगर बात करें तो सांपों के साथ आंख मिचौली करते हुए उनका बचपन बीता. दो जून की रोटी के लिए गुलाबों का परिवार बीन की धुन पर सांपों के साथ नाचता था. मिले हुए पैसों से परिवार का भरण-पोषण होता था. गुलाबो को कालबेलिया नृत्य बहुत ज्यादा पसंद था और वह सांपों के लिए बजाई गई धुन पर सांपों के साथ नाचते-नाचते कब नृत्य में बहुत माहिर हो गई समय के साथ इसका पता ही नहीं चला.
मजबूरी में 29 साल बड़े शख्स से हुई थी Gulabo Sapera की सगाई
Gulabo Sapera ने पहली बार जब स्टेज पर अपनी परफॉर्मेंस दी तो उनके समाज में काफी बवाल मचा. लोगों ने गुलाबों के पिता का जीना मुहाल कर दिया. और गुलाबों को कलंक बात कर उसकी शादी करने की सलाह दी. कालबेलिया समाज ने उनके पिता को समाज से बेदखल करने की बात भी कही. मजबूरी में Gulabo Sapera के पिता ने 6 साल की उम्र में गुलाबों की सगाई 35 साल के शख्स से कराई. गुलाबों के पति को जब यह पता चला कि वह हर वक्त डांस करती हैं तो उसने Gulabo Sapera से रिश्ता तोड़ दिया. सगाई टूटने से गुलाबो बहुत खुश थी लेकिन उनके पिता को कालबेलियाई समाज ने अपने समाज से बेदखल कर दिया.
Gulabo Sapera को उनका पहला ब्रेक थ्रू साल 1981 के पुष्कर मेले से मिला. जहां पर एक गवर्नमेंट ऑफिसर तृप्ति पांडे ने उनकी उभरती हुई नृत्य की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच तक लेकर आईं. साल 1985 में Gulabo Sapera ने देश के बाहर पहली बार अपना हुनर दिखाया.
उम्र बढ़ाकर बना Gulabo Sapera का पासपोर्ट
तृप्ति पांडे ने उन्हें राज्य की ओर से अमेरिका जाने वाले प्रतिनिधि मंडल में शामिल करवाया. Gulabo Sapera के पास उस समय ना तो घुंघरू थे और ना ही जाने के लिए उनका अपना पासपोर्ट. उस समय नाबालिक का अपना पासपोर्ट नहीं बनता था. समय कम था इसलिए गुलाबों की उम्र को बढ़ाकर पासपोर्ट बनवाया गया.
Gulabo Sapera के अमेरिका जाने से 1 दिन पहले हुआ पिता का निधन
अमेरिका जाने से लगभग 1 दिन पहले उनके पिता का निधन हो गया. पिता से गुलाबों की नजदीकियां बहुत ज्यादा थीं जिस वजह से वह सदमे में चली गईं. लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने हौसलों को उड़ान देने के लिए, पिता के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी मां से विदेश जाने की अनुमति मांगी और फिर वह अमेरिका चली गईं.
Gulabo Sapera ने अमेरिका के प्रस्तावों को ठुकराया
अमेरिका में परफॉर्मेंस देने के बाद उन्हें अमेरिका में ही रहकर नृत्य कला की शिक्षा देने की बात कही गई. उन्हें अमेरिकी नागरिकता का उस समय प्रस्ताव भी मिला था. लेकिन गुलाबों ने इन सारे प्रस्तावों को ठुकरा दिया आपको बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से वतन वापस आकर अपने ही समाज के बीच काम करने की इच्छा उन्होंने जाहिर की थी. जिससे बहुत खुश होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गुलाबों से कलाई में राखी बंधवाई और अपनी मुंह बोली बहन का दर्जा दिया.
Bigg Boss सीज़न 5 का बनीं थीं हिस्सा
भारत के रियलिटी शो Bigg Boss में भी Gulabo Sapera ने एक सेलिब्रिटी के तौर पर एंट्री पाई. Bigg Bossसीजन 5 में Gulabo Sapera ने पार्टिसिपेट किया था. वह जीत तो नहीं पाई थी लेकिन दर्शकों के दिल में उन्होंने अपने लिए जगह जरूर बनाई थी. साल 2016 में उन्हें उनकी प्रतिभा के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था. यही नहीं साल 2021 में उन्हें भारत गौरव अवार्ड से भी नवाजा गया है.
Gulabo Sapera की Incredible story लोगों को प्रेरित करती है
गुलाबो का बचपन गरीबी में बीता है Gulabo Sapera ने अपने जीवन में बहुत स्ट्रगल किया है. और इसी वजह से उस स्ट्रगल के बाद जो सफलता मिली वह बहुत लोगों को इंस्पायर करती है. गुलाबो सपेरा आज एक चमकता हुआ सितारा हैं. और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी उनका नाम शामिल है. उन्होंने अपनी लाइफ में जो भी स्ट्रगल किया है वह आज कई महिलाओं के लिए प्रेरणा है. इसका मतलब ये है कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए. कठिनाइयों से लड़ना ही मनुष्य का कर्तव्य है और यही उसे महान बनाता है. Rajasthan Tourism द्वारा X पर पोस्ट किए गए इस वीडियो में देखिए उनके डांस की झलक.