By Alka
Published on:
Valmiki Jayanti: वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. इस साल वाल्मीकि जयंती 17 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी. महर्षि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य की रचना की थी. महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत साहित्य का पहला श्लोक लिखा था जो कि रामायाण का भी पहला श्लोक बना. आइए जानते हैं इसके पीछे क्या कथा है और क्या था वो पहला श्लोक.
Valmiki Jayanti हर वर्ष शरद पूर्णिमा को मनाई जाती है
हर वर्ष शरद पूर्णिमा को पूरे विश्व में Valmiki Jayanti बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है. वैसे उत्तर भारत में शरद पूर्णिमा को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसकी एक वजह भी है कि इस दिन चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है. इसी मान्यता के कारण घर की छत पर खीर रखी जाती है, चंद्रमा की किरणों से इसे ऊर्जा मिलती है और ये खीर प्रसाद के रूप में सुबह खाई जाती है. शरद पूर्णिमा को ‘कोजागरी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है.
‘अनुष्टुप छंद’ के रूप में हैं महर्षि वाल्मीकि के आख्यान
Valmiki Jayanti : महर्षि वाल्मीकि ने अपने ज्ञानामृत को ‘अनुष्टुप छंद’ के रूप में सूत्रबंध ढंग से सुंदर कहानियों, आख्यानों, दृष्टांतों के द्वारा कठोर से कठोर आसान उदाहरणों से समझाया है. कहा जाता है कि उनको केवल पढ़ने, सुनने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
संस्कृत भाषा का जन्म महर्षि वाल्मीकि जी के मुख से निकले शब्दों से माना जाता है
Valmiki Jayanti : ऐसी मान्यता है कि संस्कृत भाषा का जन्म महर्षि वाल्मीकि जी के मुख से निकले शब्दों से हुआ था. वर्णमाला के व्यंजनों का पहला अक्षर ‘क’ का होना कोई संयोग नहीं, बल्कि क्रौन्च से ही महर्षि वाल्मीकि ने करुणा भाव से लौकिक भाषा का निर्माण किया था.
बात उस समय की है, जब एक दिन महर्षि वाल्मीकि अपने शिष्य ऋषि भारद्वाज के साथ तमसा नदी पर स्नान कर वापस आश्रम की ओर आ रहे थे, तब उन्होंने एक क्रौंच पक्षी के जोड़े को देखा जो प्रणय-क्रिया में लीन था. उन्हें देखकर महर्षि वाल्मीकि को काफी प्रसन्नता हुई. तभी नदी के तट के पास उन्होंने एक बहेलिये को भी देखा, जिसने अपने तीर से क्रौन्च और क्रौन्ची जोड़े में से क्रौन्च (नर) को मार गिराया जिससे उसकी मृत्यु हो गई.
संस्कृत का पहला श्लोक महर्षि वाल्मीकि के मुख से निकला
यह दृश्य देख कर महर्षि वाल्मीकि के मुख से जो शब्द निकले वे इस प्रकार हैं- मा निषाद प्रतिष्ठाम् त्वमागम: शाश्वती क्षमा:। यतक्रौन्च मिथुनाद एकम् अवधी काममोहितम्। इस श्लोक को ही संस्कृत का पहला श्लोक माना जाता है. कहा जाता है कि यह श्लोक महर्षि वाल्मीकि के क्रोध और शोक से निकला था. यह श्लोक उस बहेलिये के लिए श्राप था जिसने एक क्रौंच पक्षी के जोड़े में से नर पक्षी को बाण मारा था. इसके बाद, भगवान ब्रह्मा के आशीर्वाद से महर्षि वाल्मीकि ने उसी छंद में पूरी रामायण की रचना की.
वाल्मीकि जी का नाम रत्नाकर था और वो एक डाकू थे
Valmiki Jayanti : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पहले वाल्मीकि जी का नाम रत्नाकर था और वो एक डाकू थे और वन में आने वाले लोगों को लूट कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण किया करते थे. बाद में नारद मुनि की सलाह के बाद उन्होंने पाप का रास्त छोड़ दिया और तपस्या कर ब्रह्मा जी से ज्ञान का वरदान प्राप्त किया.
ब्रह्मा जी ने रत्नाकर का नाम वाल्मीकि रखा
Valmiki Jayanti : ऋषि वाल्मीकि ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए और अपने पापों की क्षमा याचना करने के लिए कठोर तप किया. वाल्मीकि अपने तक में इतने लीन थे कि उन्हें इस बात का भी बोध नहीं हुआ कि उनके शरीर पर दीमक की मोटी परत जम चुकी है. जिसे देखकर ब्रह्मा जी ने रत्नाकर का नाम वाल्मीकि रखा दिया.
Valmiki Jayanti : महर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में कई किंवदंतियां हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म महर्षि कश्यप और देवी अदिति के 9वें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी से हुआ था. संस्कृत क्षेत्र में पहला श्लोक लिखने का श्रेय महर्षि वाल्मीकि को भी जाता है.
एक अन्य कथा के अनुसार, प्रचेता नाम के एक ब्राह्मण के पुत्र का जन्म रत्नाकर के रूप में हुआ था, जो कभी डकैत थे. नारद मुनि से मिलने से पहले महर्षि वाल्मीकि अर्थात रत्नाकर ने कई निर्दोष लोगों को मार डाला और लूट लिया, नारद मुनि ने उन्हें एक अच्छे इंसान और भगवान राम के भक्त के रूप में बदल दिया. वर्षों के ध्यान और अभ्यास के बाद वह इतना शांत हो गए कि चींटियों ने उनके चारों ओर टीले बना लिए. नतीजतन, उन्हें वाल्मीकि की उपाधि दी गई, वाल्मीकि का शाब्दिक अर्थ है ‘वो जो चींटी-पहाड़ियों से पैदा हुआ हो‘.
1 thought on “Valmiki Jayanti: जब महर्षि वाल्मीकि ने रचा था संस्कृत का पहला श्लोक, उनकी जयंती पर जानिए उनसे जुड़ी ये खास बातें”