Ratan Tata Death: नहीं रहे रतन टाटा, 86 की उम्र में ली अंतिम सांस

By Alka

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Ratan Tata Death: देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में एडमिट थे. यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली है. मुंबई का 26/11 अटैक हो या फिर Corona महामारी रतन टाटा हमेशा देश की मदद को तैयार रहते थे. उनका जाना देश के लिए अपूर्णीय क्षति है.

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Ratan Tata ने टाटा समूह को हई ऊंचाइयों तक पहुंचाया

Ratan Tata ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार की एक मिसाल थे, जिन्होंने व्यापार और उससे परे की दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है. बढ़ती उम्र से जुड़ी तकलीफों के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रतन टाटा ने मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक टाटा समूह की अगुवाई की. टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उन्होंने टाटा ग्रुप को नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली कंपनी बनाया. उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया. टाटा समूह आज देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक है.

दो दिन पहले ही कहा था- बिल्कुल ठीक हूं, चिंता की कोई बात नहीं

दो दिन पहले ही रतन टाटा ने अपनी सेहत को लेकर चल रही अटकलों को खारिज किया था. सोमवार को खबरें आई थीं कि Ratan Tata को ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. Ratan Tata ने बताया था कि वह अपनी उम्र संबंधी परेशानियों के इलाज के लिए अस्पताल गए हैं. उन्होंने लोगों से कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है. Ratan Tata ने एक बयान में कहा था, ‘मैं अपनी उम्र और उससे जुड़ी बीमारियों के कारण नियमित मेडिकल जांच करवा रहा हूं, चिंता की कोई बात नहीं है.

1937 में हुआ था Ratan Tata का जन्‍म

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की. 1962 में टाटा समूह में शामिल होने से पहले रतन टाटा ने अमेरिका में कुछ समय तक काम किया. 1981 में उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज का चेयरमैन बनाया गया. 1991 में जेआरडी टाटा के रिटायरमेंट के बाद रतन टाटा ने टाटा संस के चेयरमैन का पद संभाला.

कई बड़ी विदेशी कंपनियों का किया अधिग्रहण

Ratan Tata ने अपने नेतृत्व में टाटा समूह को एक नई पहचान दी. उन्होंने कई बड़ी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिसमें टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसी कंपनियां शामिल हैं. उनके नेतृत्व में टाटा समूह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन गया.

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Ratan Tata को उनके सामाजिक कार्यों के लिए भी जाना जाता था. वह टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन थे, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में काम करता है. रतन टाटा को उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.

पीएम मोदी ने जताया शोक

पीएम मोदी ने एक्स हैंडल पर पोस्ट करके Ratan Tata के निधन पर दुख जताया है. पीएम मोदी ने कहा, ‘श्री रतन टाटा जी एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे. उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया. साथ ही, उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया. अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण उन्होंने कई लोगों को प्रिय बना लिया.’

राहुल गांधी ने दी श्रद्धांजलि

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘रतन टाटा दूरदृष्टि वाले व्यक्ति थे. उन्होंने व्यापार और परोपकार दोनों पर अमिट छाप छोड़ी है. उनके परिवार और टाटा समुदाय के प्रति मेरी संवेदनाएं.’

बहुत दरियादिल इंसान थे Ratan Tata

टाटा ग्रुप को ऊंचाईयों पर पहुंचाने में रतन टाटा की सबसे बड़ी भूमिका रही. इन्‍होंने देश और आम लोगों के लिए कई ऐसे काम किए, जिसके लिए Ratan Tata हमेशा याद किए जाएंगे. रतन टाटा एक दरियाद‍िली इंसान थे और मुसीबत में देश के लिए हमेशा तैयार रहते थे.

28 दिसंबर को हुआ था जन्म

अरबपति कारोबारी और बेहद ही दरिया दिल इंसान रतन टाटा 86 साल के थे. 28 संबर 1937 को उनका जन्म हुआ था . वे साल 1991 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे और इस दौरान उन्होंने बिजनेस सेक्टर में कई कीर्तिमान स्थापित करते हुए देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों में से एक टाटा समूह को बुलंदियों तक पहुंचाया

अपने समूह के छोटे से छोटे कर्मचारी का रखते थे ख्याल

रतन टाटा की शख्शियत को देखें, तो वो सिर्फ एक बिजनेसमैन ही नहीं , बल्कि एक सादगी से भरे नेक और दरियादिल इंसान भी थे. वो देश के लिए हमेशा आदर्श और प्रेरणा के स्रोत रहेंगे. वे अपने समूह से जुड़े छोटे से छोटे कर्मचारी को भी अपना परिवार मानते थे और उनका ख्याल रखने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते थे.

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Alka Tiwari is a seasoned author with over 10 years of experience writing for women. Her work focuses on empowerment and personal growth, delivering inspiring and relatable stories that resonate deeply. Alka is dedicated to uplifting and connecting with her readers.

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