Ratan Tata Biography: आखिर Super Rich की रेस में क्यों नहीं हैं रतन टाटा, सच जानकर चौंक जाएंगे आप

By Alka

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9 अक्टूबर की रात देश के जाने माने उद्योगपति रतन टाटा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 86 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. इतनी सम्पत्ति होने के बावजूद भी रतन टाटा आखिरकार दुनिया के सबसे ज्यादा अमीर लोगों की सूची में शामिल क्यों नहीं है ये सवाल लोगों के जेहन में आ रहा है. दरअसल इसका एक बड़ा कारण है जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.

अकूत सम्पत्ति के बावजूद जिया सादगी भरा जीवन

Ratan Tata एक ऐसी शख्सियत रहे हैं जिनके बारे में लोग ये कहते हुए मिल जाते हैं कि अमीर तो बहुत हैं लेकिन दरियादिली और मानवता से लबरेज उद्योगपति बिरले ही होते हैं. रतन टाटा उन्हीं बिरले व्यक्तियों के प्रतिनिधि समझ लीजिए. अकूत सम्पत्ति के मालिक होने के बावजूद रतन टाटा की लाइफस्टाइल हमेशा ज़मीन से जुड़ी रही. आम लोगों से उनका बर्ताव कहीं से भी साधारण जनता को असहज नहीं करता था. यही कारण है कि वो जिनके बीच रहे, जिनसे मिले उन सभी के लिए एक असाधारण व्यक्तित्व बनकर निखरे.

शालीनता के बलबूते Ratan Tata ने गढ़ी अपनी अलग छवि

 Ratan Tata के पास 30 से ज्यादा कंपनियां हैं, जो 100 देशों में फैली हैं. उनके नेतृत्‍व में टाटा समूह नई ऊंचाइयों पर पहुंचा. इतना सब होने के बावजूद वह एक सादगीपूर्ण जीवन जीते थे.  Ratan Tata Net Worth लगभग 3800 करोड़ रुपए की संपत्ति है. उनका कुल कारोबार 300 बिलियन डॉलर का है. सरल व्यक्तित्व के धनी रतन टाटा कॉरपोरेट दिग्गज थे. उन्‍होंने अपनी शालीनता और ईमानदारी के बलबूते अलग तरह की छवि बनाई थी. रतन टाटा 1962 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क से वास्तुकला में बी.एस. की डिग्री प्राप्त करने के बाद पारिवारिक कंपनी में शामिल हो गए थे.

1991 में अपने चाचा से टाटा समूह का पदभार संभाला

Ratan Tata ने शुरुआत में एक कंपनी में काम किया और टाटा समूह के कई व्यवसायों में अनुभव प्राप्त किया. इसके बाद 1971 में उन्हें (समूह की एक फर्म) ‘नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी’ का प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया. एक दशक के बाद वह टाटा इंडस्ट्रीज के चेयरमैन बने और 1991 में अपने चाचा जेआरडी टाटा से टाटा समूह के चेयरमैन का पदभार संभाला. जेआरडी टाटा पांच दशक से भी अधिक समय से इस पद पर थे.

विदेशों में किए कई अधिग्रहण

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Ratan Tata दो दशक से अधिक समय तक समूह की मुख्य होल्डिंग कंपनी ‘टाटा संस’ के चेयरमैन रहे. इस दौरान इस समूह ने तेजी से विस्तार करते हुए साल 2000 में लंदन स्थित टेटली टी को 43.13 करोड़ अमेरिकी डॉलर में खरीदा. ये सिलसिला यहीं नहीं थमा बल्कि साल 2004 में दक्षिण कोरिया की देवू मोटर्स के ट्रक-निर्माण परिचालन को 10.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर में खरीदा, वहीं एंग्लो-डच स्टील निर्माता कोरस समूह को 11 अरब अमेरिकी डॉलर में खरीदा और फोर्ड मोटर कंपनी से मशहूर ब्रिटिश कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को 2.3 अरब अमेरिकी डॉलर में खरीदा.

हमेशा आम-जन के साथ खड़े दिखे Ratan Tata

टाटा समूह की कमाई का बड़ा हिस्सा लोक कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जाता है, ये सभी जानते हैं. मुंबई में टाटा कैंसर हॉस्पिटल में बच्चों का इलाज लगभग मुफ्त ही किया जाता है. कोरोना काल के समय जब बड़ी-बड़ी कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी कर रहीं थीं तो ऐसे नाजुक समय में टाटा ग्रुप अपने कर्मचारियों के साथ था और हर संभव मदद भी प्रदान कर रहा था.

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परोपकार के अनगिनत हैं किस्से

Ratan Tata के परोपकार के ऐसे अनेकों किस्से हैं जो समाज में सामने आए और अनेकों किस्से ऐसे भी हैं जो समाज में सबकी नज़रों में नहीं आ पाए फिर भी रतन टाटा ने अपने से जुड़े हर छोटे बड़े तबके के लोगों की हर संभव मदद की.

चैरिटी के कारण अरबपतियों की रेस से रहे बाहर

ये परोपकार ही उन्हें महान बनाता है. रतन टाटा को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वो अरबपतियों की सूची में शामिल किए जाएं या नहीं वो वास्तव में सच्चे देश भक्त और एक जिम्मेदार नागरिक की तरह देश के लोगों की सेवा में लीन रहना पसंद करते थे. ये चैरिटी ही सबसे बड़ा कारण थी जिसने रतन टाटा जैसे व्यक्ति को अरबपतियों की सूची से परे रखा.

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में डिग्री प्राप्त की और 1961 में टाटा ग्रुप में शामिल हुए. टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में, उन्होंने कई सफल कंपनियों की स्थापना की और टाटा ग्रुप को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया.

आजीवन रहे अविवाहित

लॉस एंजिल्स में एक आर्किटेक्चर फर्म में नौकरी करने के दौरान रतन टाटा को एक लड़की से प्यार हो गया था वो  लगभग शादी करने वाले ही थे कि तभी भारत में उनकी दादी की तबियत खराब हो गई और उन्हें देखने के लिए रतन टाटा को भआरत आना था . साल 1962 था जब चीन से भारत का युद्ध चल रहा था. ऐसे में लड़की के परिजनों ने उसे भारत भेजने से मना कर दिया और इस तरह ये रिश्ता टूट गया.

Ratan Tata Biography एक नज़र में

  • जन्म: 28 दिसंबर, 1937
  • निधन: 9 अक्टूबर, 2024
  • शिक्षा:
  • कॉर्नेल विश्वविद्यालय
  • हार्वर्ड बिजनेस स्कूल
  • परिवार:
  • नवल टाटा (पिता)
  • सूनी कमिसारीट (मां)
  • पद:
  • टाटा संस और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष
  • टाटा संस और टाटा समूह के मानद चेयरमैन
  • पूर्ववर्ती : जेआरडी टाटा
  • उत्तराधिकारी:
  • साइरस मिस्त्री (2012)
  • नटराजन चंद्रशेखरन (2017-वर्तमान)
  • पुरस्कार:
  • पद्म विभूषण (2008)
  • पद्म भूषण (2000)

Alka

Alka Tiwari is a seasoned author with over 10 years of experience writing for women. Her work focuses on empowerment and personal growth, delivering inspiring and relatable stories that resonate deeply. Alka is dedicated to uplifting and connecting with her readers.

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