Nobel Prize 2024: कौन हैं विक्टर एंब्रोस और गैरी रुवकुन ? क्यों मिला है नोबेल पुरस्कार! Biography में जानिए सब कुछ

By Alka

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Nobel Prize 2024: मेडिसिन के क्षेत्र में साल 2024 के लिए नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम का ऐलान कर दिया गया है. अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को मेडिकल के क्षेत्र में योगदान के लिए 2024 का नोबेल प्राइज दिया जाएगा. आइए Biography में जानते हैं कौन हैं विक्टर एंब्रोस और गैरी रुवकुन.

Nobel Prize 2024

बचपन के दिनों से ही वैज्ञानिक बनना चाहते थे Nobel Prize 2024 के विजेता

Nobel Prize 2024 पाने वाले विक्टर एंब्रोस अपने बचपन के दिनों से ही वैज्ञानिक बनना चाहते थे. उनके पिता किसान थे और खेती में उपयोग होने वाले औजारों को खुद ही बनाते हैं. विक्टर एंब्रोस का कहना है कि वहीं से उन्होंने उस सुकून को महसूस किया जो खुद बनाई हुई चीजों के उपयोग से उन्हें मिलता था. विक्टर एंब्रोस का कहना है कि “आज भी विज्ञान करने का यही हिस्सा मुझे सबसे ज्यादा पसंद है.”

Nobel Prize 2024 के विजेता के रोल मॉडल हैं ये खगोलशास्त्री

Nobel Prize 2024 के विजेता विक्टर एंब्रोस के बचपन से ही रोल मॉडल रहे हैं क्लाइड टॉमबाग. प्लूटो की खोज करने वाले क्लाइड टॉमबाग एक अमेरिकी खगोलशास्त्री थे और जिन्होंने 1920 के दशक में एक खगोलीय पिंड यानि प्लूटो की खोज की थी. विक्टर एंब्रोस का कहना है कि वो टॉमबाग से बहुत प्रभावित हैं इसका एक कारण ये भी है कि विक्टर एंब्रोस उन्हें अपने जैसा किसान का बेटा मानते हैं. इसके साथ ही विषम परिस्थितियां होने के बावजूद इतनी बड़ी उपलब्धी हासिल करने के लिए उनकी कड़ी मेहनत से विक्टर एंब्रोस प्रभावित हुए.

Nobel Prize 2024 के विजेताओं को मिलेगी इतनी धनराशि

Nobel Prize 2024 prize money

स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में नोबेल असेंबली ने सोमवार को माइक्रो आरएनए की खोज और पोस्ट-ट्रांसक्रिप्शनल जीन विनियमन के लिए फिजियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र में योगदान देने वाले विजेताओं के नाम का ऐलान कर दिया है. Nobel Prize 2024 अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को दिया गया है. दोनों विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर यानी 8 करोड़ 90 लाख रुपये की पुरस्कार राशि का आधा आधा हिस्सा दिया जाएगा. 

माइक्रो RNA की खोज पर मिला Nobel Prize 2024

Nobel Prize 2024 for micro RNA

एम्ब्रोस और रुवकुन ने जीन गतिविधि को विनियमित करने के तरीके को नियंत्रित करने वाले एक मौलिक सिद्धांत की खोज की है. उन्होंने माइक्रो आरएनए की खोज की, जो जीन विनियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले छोटे आरएनए अणुओं का एक नया वर्ग है. उनके बुनियादी निष्कर्षों ने जीन विनियमन के एक पूरी तरह से नए सिद्धांत को उजागर किया है, जो मनुष्यों सहित बहुकोशिकीय जीवों के लिए आवश्यक था.

अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन के निष्कर्षों से पता चलता है कि मानव जीनोम एक हजार से अधिक माइक्रोआरएनए के लिए काम करता है. ये जीवों के विकास और कार्य करने के तरीके के लिए मूलभूत रूप से महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं.

बता दें कि न्यू हैम्पशायर में जन्मे एम्ब्रोस ने साल 1979 में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पीएचडी की. उन्होंने कैम्ब्रिज से एमए किया है. वह वर्तमान में यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल में प्राकृतिक विज्ञान में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. विक्टर एम्ब्रोस वर्मोंट में पले-बढ़े और 1975 में एमआईटी से ग्रेजुएटच हुए. उन्होंने पीएचडी में पोलियोवायरस जीनोम संरचना और रेप्लिकेशन की स्टडी की. उन्होंने एमआईटी में जेनेटिक पाथवे का अध्ययन करना शुरू किया.

तो वहीं, रुवकुन का जन्म 1952 में कैलिफोर्निया में हुआ था. उन्होंने 1982 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की. वह हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में जेनेटिक्स के प्रोफेसर हैं. दोनों में से विक्टर एम्ब्रोस का नाम खासा चर्चा में हैं जिन्होंने माइक्रोआरएनए की सबसे पहले खोज की थी. एम्ब्रोस की साइंस में बचपन में ही रुचि पैदा हो गई थी, लेकिन उनका झुकाव एस्ट्रोनॉमी या खगोल शास्त्र की ओर अधिक था.

नोबेल पुरस्कार का ऐलान कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के 50 प्रोफेसरों की नोबेल असेंबली की ओर से हर साल किया जाता है. अलग-अलग क्षेत्र में योगदान देने वाली हस्तियों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है.

Alka

Alka Tiwari is a seasoned author with over 10 years of experience writing for women. Her work focuses on empowerment and personal growth, delivering inspiring and relatable stories that resonate deeply. Alka is dedicated to uplifting and connecting with her readers.

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