Ratan Tata Died: जब अपने बीमार कर्मचारी का हालचाल लेने मुंबई से पुणे चले आए थे रतन टाटा

By Alka

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Ratan Tata Died: पद्म भूषण और विभूषण रतन टाटा (Ratan Tata) अब नहीं रहे. वो हमेशा से युवा वर्ग के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं. सुधा मूर्ती हों या उनकी कंपनी में काम करने वाला कोई कर्मचारी रतन टाटा हमेशा सबकी मदद के लिए तैयार रहते थे. 26/11 के हमले के बाद रतन टाटा ने अपने कर्मचारियों के लिए वो सब कुछ किया जो देश के किसी बड़े बिजनेसमैन के जेहन में भी नहीं आया. ऐसा ही एक किस्सा है उनके पुणे जाकर अपने कर्मचारी की मदद करने का.

ratan tata humble personality

कहा जाता था कि Tata की नौकरी मतलब सारी सुविधाएं

Ratan Tata न सिर्फ समाज के लिए बल्कि जानवरों के साथ भी वो काफी अच्छा व्यवहार करते थे. अपने कर्मचारियों का तो वो इतना ध्यान रखते थे कि देश में कहा जाता था कि Tata की नौकरी का मतलब सरकारी नौकरी से भी ज्यादा अच्छी सुख सुविधाएं.

अपने कर्मचारियों का खुद ख्याल रखते थे Ratan Tata

ये बातें यूं ही नहीं की जाती. रतन टाटा अपने कर्मचारियों की तनख्वाह से लेकर उनके हेल्थ और उनके परिवार तक के लिए खासा ध्यान देते थे. रहने के लिए घर, बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल और बीमार होने पर इलाज के लिए अस्पताल तक की टाटा समूह अपने कर्मचारियों के लिए व्यवस्था करता है. इसके अलावा खुद रतन टाटा अपने कर्मचारियों का हाल-चाल लेते रहते थे.

83 की उम्र में बीमार कर्मचारी से मिलने पहुंच गए थे पुणे

RATAN TATA MEETS HIS FORMER EMPLOYEE

ये साल 2021 की बात है. जब एक रोज रतन टाटा को पता चला कि उनका एक पूर्व कर्मचारी दो सालों से बीमार है. यह सुनकर वो उससे मिलने के लिए मुंबई से पुणे पहुंच गए. वो भी 83 साल की उम्र में. रतन टाटा ने दो साल से बीमार चल रहे अपने एक पूर्व कर्मचारी से मिलने के लिए कार से 150 किलोमीटर का लंबा सफर तय किया और मुंबई से पुणे पहुंच गए. सोचिए जब वे जवान रहे होंगे तो किस हद तक कर्मचारियों की मदद करते होंगे. फिर उन्होंने अपने उस कर्मचारी की भरपूर मदद की.

योगेश देसाई नाम के एक सोशल मीडिया यूजर ने इस वाकये को लेकर पोस्ट शेयर की थी. पोस्ट में दावा किया गया था कि रतन टाटा पुणे की फ्रेंड्स सोसाइटी में अपने पूर्व कर्मचारी से मिलने पहुंचे और उसका हाल-चाल जाना. सोसाइटी में ये भी चर्चा रही कि रतन टाटा इस कर्मचारी के परिवार का खर्च उठाएंगे. हालांकि इस पोस्ट में कर्मचारी का नाम नहीं बताया गया था. योगेश ने लिखा था, ‘इस मुलाकात के दौरान न मीडिया था, न बाउंसर थे सिर्फ वफादार कर्मचारियों के लिए कमिटमेंट था. सभी बिजनेसमैन को इससे सीख लेनी चाहिए कि पैसा ही सब कुछ नहीं होता.’

Ratan Tata इन सब बातों की कभी चर्चा नहीं करते थे. न ही उनकी कंपनी की तरफ से इस तरह की बातें बताईं जाती थीं. ये तो सोशल मीडिया का जमाना है तो हर कोई जानकारी साझा कर रहा है. उनके इस तरह के अनेकों किस्से हैं जो लोग अब सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं.

Ratan Tata बेहद सादगी भरा जीवन जीते थे

उस पूर्व कर्मचारी के एक करीबी ने Ratan Tata की मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा कर दी और देखते ही देखते वो वायरल हो गई. लोग रतन टाटा की तारीफ करते नहीं थक रहे थे. यहां तक की अपनी कंपनी के मालिकों की उनसे तुलना कर शिकायतें करने लगे. रतन टाटा बेहद सादगी से रहा करते थे. यहां तक की उन्होंने अपने सभी कर्मचारियों को निर्देश दे रखा था कि अगर कंपनी में कोई भी जानवर घुस जाए तो उसे भगाया न जाए. यहां तक की मुंबई वाले उनके वर्ल्ड क्लास ताज होटल में भी आवारा जानवरों के घुसने पर भी प्रतिबंध नहीं था

Alka

Alka Tiwari is a seasoned author with over 10 years of experience writing for women. Her work focuses on empowerment and personal growth, delivering inspiring and relatable stories that resonate deeply. Alka is dedicated to uplifting and connecting with her readers.

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