Chhath puja ki kahani: क्या है छठ पूजा का बड़ा रहस्य! किसने की शुरुआत, पढ़िये पूजा की असली कहानी

By Alka

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Chhath puja बिहार में छठ का विशेष महत्व है. ये महापर्व पूरे चार दिन तक चलता है. पर क्या आप जानते हैं कि छठ पर्व की शुरुआत कैसे हुई! और इसका पौराणिक महत्व क्या है! पढ़िये इसकी असली कहानी और जानिए पहली बार किसने की थी ये पूजा.

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Chhath puja की शुरुआत 6 नवंबर से

इस साल चार दिनों तक चलने वाले Chhath puja की शुरुआत 6 नवंबर से होने जा रही है. 9 नवंबर को इस महापर्व का समापन होने वाला है. 6 को नहाय खाय के साथ 7 को खरना, 8 को पहला अर्घ्य और 9 को दूसरा अर्घ्य होगा. इसके बाद पारण के साथ ही पूजा का समापन हो जाएगा.

Chhath puja से निःसंतान महिलाओं को होती है संतान की प्राप्ति

हिंदू धर्म में छठ महापर्व बेहद खास माना जाता है. क्योंकि यह एकमात्र ऐसी पूजा है जिसमें ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. जो भी छठ महापर्व में ढलते सूर्य और उगते सूर्य को अर्घ्य देता है, उनके जीवन में आने वाले सभी तरह के शारीरिक कष्ट समाप्त हो जाते हैं और निःसंतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है.

Chhath puja है मन्नतों का महापर्व

छठ पूजा को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है. इस पूजा को शारीरिक और मानसिक रूप से बड़ी शुद्धता के साथ मनाया जाता है. छठ पूजा का व्रत इतना आसान नहीं होता. छठ पूजा में व्रती कड़े नियमों के साथ 36 घंटे निर्जला उपवास पर रहती हैं. व्रती उपवास इसलिए करती हैं, ताकि उनके पुत्रों की रक्षा हो सके और घर में सुख समृद्धि की उन्नति हो. 

नहाए-खाए से छठ पर्व की शुरुआत होती है, जो डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होती है. बता दें कि पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए Chhath puja का ये पर्व मनाया जाता है. लेकिन इसके साथ ही Chhath puja का एक अलग ऐतिहासिक महत्व भी है.

ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं छठी मैया

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पौराणिक कथाओं के मुताबिक छठ मैया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन हैं. षष्ठी देवी यानी छठ मैया संतान प्राप्ति की देवी हैं. माना जाता है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना करते हुए खुद को दो भागों में विभाजित किया था. एक भाग पुरुष और दूसरा भाग प्रकृति के रूप में था. प्रकृति ने भी अपने आप को 6 भागों में विभाजित किया था. इसमें से एक मातृ देवी या देवसेना थी. छठ मैया देवसेना की छठी अंश हैं, इसलिए इन्हें छठी मैया कहा जाता है.

Chhath puja: छठ मैया के पति कौन हैं!

पुराणों के अनुसार छठी मइया के पति का नाम ‘कार्तिकेय’ है. कार्तिकेय जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और भगवान गणेश के भाई भी हैं. श्रीमद भागवत महापुराण के अनुसार प्रकृति के छठे अंश से प्रकट हुई 16 माताओं में सबसे प्रसिद्ध छठी मइया हैं, जो कार्तिकेय की पत्नी हैं.

Chhath puja की कहानी

प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इन देवी मां का एक प्रचलित नाम षष्‍ठी है, जिसे छठी मैय्या के नाम से जानते हैं. पुराणों के मुताबिक़ राजा प्रियंवद ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी. तब से छठ को त्‍योहार के रूप में मनाने और व्रत करने की परंपरा चल पड़ी.

प्रभु श्री राम और माता सीता ने भी किया था छठी मैया का व्रत

पुराणों के अनुसार लंका पर विजय पाने के बाद रामराज्य स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ व्रत किया और सप्तमी शाम को सूर्योदय के वक्त उन्होंने छठ पूजा की. सूर्य पुत्र कर्ण प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे. महाभारत काल में सूर्य पुत्र कर्ण ने भी छठ माता की पूजा की थी. ऐसी मान्यता है कि इसी व्रत से उन्हें कई शक्तियाँ प्राप्त हुईं.

Alka

Alka Tiwari is a seasoned author with over 10 years of experience writing for women. Her work focuses on empowerment and personal growth, delivering inspiring and relatable stories that resonate deeply. Alka is dedicated to uplifting and connecting with her readers.