By Alka
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Amla Navami Vrat Katha: अक्षय नवमी या आंवला नवमी पर आंवला के पेड़ की पूजा से विष्णु भगवान का आशीर्वाद मिलता है आज जानते हैं कि इस व्रत की क्या कथा है और इसके सही नियम क्या है-
Amla Navami या अक्षय नवमी व्रत कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है. आंवला नवमी के दिन ही भगवान श्री हरि विष्णु ने कुष्मांण्डक नामक दैत्य का वध किया था. पौराणिक मान्यता यह भी है की आंवला नवमी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा की थी.
इस दिन सभी महिलाएं अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती है. इस साल 10 नवंबर को Amla Navami का व्रत रखा जाएगा. इस दिन आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. और परिवार में सुख समृद्धि आती है
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है. तो चलिए जानते हैं कि आंवला नवमी के व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें कौन सी है, Amla Navami के व्रत को करने का नियम कौन सा है? और इस दिन पूजा में किस कथा का श्रवण करना आवश्यक है?
Amla Navami के व्रत के नियम
- आंवला नवमी के व्रत के नियम में सर्वप्रथम व्रत के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनना चाहिए.
- इसके बाद आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा अर्चना करनी चाहिए.
- आंवला के पेड़ पर जल चढ़ाएं और पुष्प चढ़ाएं.
- इसके साथ ही आंवला के पेड़ की परिक्रमा भी करनी चाहिए.
- आंवला के पेड़ की पूजा के साथ इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु माता लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है.
- आंवला नवमी के व्रत के दिन केवल फल और जल ग्रहण करना चाहिए.
Amla Navami व्रत के लाभ
Amla Navami व्रत के करने से ऐसी मान्यता है कि स्वास्थ्य है और दीर्घायु होने का आशीर्वाद भगवान श्री हरि विष्णु के द्वारा मिलता है इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति भी मिलती है और भगवान श्री हरे विष्णु की कृपा से घर में सुख और समृद्धि आती है पौराणिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से आत्मसुद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति भी होती है
Amla Navami व्रत की कथा
आंवला नवमी व्रत की कथा के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु के द्वारा अवल के पेड़ को बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र माना गया है भगवान श्री हरि विष्णु को वाला अति प्रिय है इस पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा की प्राप्ति होती है स्वास्थ्य और दीर्घायु का वरदान भी मिलता है आंवला नवमी व्रत कथा कुछ इस प्रकार से है-
एक बार की बात है भगवान विश्वनाथ की नगरी काशी में एक निःसंतान व्यक्ति रहता था. वह व्यक्ति संतान प्राप्ति के लिए बहुत मिन्नतें कर चुका था लेकिन उसके घर में संतान की प्राप्ति नहीं हुई. एक दिन उसकी पत्नी को पड़ोस की ही एक महिला ने एक उपाय बताया.
उस उपाय के अनुसार एक बालक की बली बाबा भैरव को चढ़ानी थी. उसे महिला ने कहा कि बाबा भैरव को एक बालक की बलि चढ़ाने के बाद तुम्हें संतान की प्राप्ति हो जाएगी. जब उस महिला ने अपने पति से इस बात का जिक्र किया तो उसके पति ने इससे साफ इनकार कर दिया.
इसके बाद भी उस महिला ने बाबा भैरव को एक बच्चे की बलि देने का निर्णय किया. एक दिन मौका पाकर उस महिला ने एक कन्या को कुएं में धकेल दिया और बाबा भैरव के नाम पर उसकी बलि दे दी. उसके इस कृत्य से उस महिला पर हत्या का पाप चढ़ गया. और उसके पूरे बदन में कोढ़ हो गया.
यह बात जब उसके पति को पता चली तो उसने अपनी पत्नी से कहा कि बाल वध करना अधर्म है इसलिए तुम्हारे शरीर में कोढ़ हो गया है. तुम्हें इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए माता गंगा की शरण में जाना होगा. उस महिला ने अपने पति के कहने पर मां गंगा की शरण ली. गंगा मैया ने उस महिला से कहा कि तुम कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला के पेड़ का पूजन करो और आंवले का ही सेवन करना.
मां गंगा की बात सुनकर उस महिला ने मां गंगा के कहे अनुसार ही सब कुछ किया. फल स्वरुप वह कोढ़ से मुक्त हो गई. और इसके साथ ही यह व्रत करने से कुछ समय के बाद उसे संतान की प्राप्ति भी हुई. तभी से लेकर लोग इस उपवास को परंपरा के अनुसार करते चले आ रहे हैं. इसे अक्षय नवमी या Amla Navami के रूप में जाना जाता है.
अस्वीकरणः चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर प्रकाशित इस आलेख में सिर्फ आपकी जानकारी के लिए बातें बताई गई हैं. इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि ‘Her Jankari’ नहीं करता है. इस कंटेंट का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है.