By Alka
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Shardiya Navratri 2024: पितृपक्ष समाप्त होते ही शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो जाएगी. ये 9 दिन बहुत ही शुभ माने जाते हैं. इन दिनों मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. इन 9 दिनों में और मां की कृपा पाने के लिए बहुत से लोग कई प्रयास करते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह से नवरात्रि में मां दुर्गा की कृपा आप प्राप्त कर सकते हैं. बस इसके लिए आपको अपने घर से कुछ नकारात्मक चीजों को बाहर निकालना बेहद जरूरी होगा.
2 अक्टूबर 2024 को पितृपक्ष की समाप्ति हो रही है और 3 अक्टूबर 2024 से Shardiya Navratri की शुरुआत हो जाएगी. नव दिवसीय नवरात्रि में माता रानी के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा का बड़ा ही महत्व है. नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है. नवरात्रि के दौरान घर-घर में मां की पूजा होती है और पूरा माहौल भक्ति भाव से सज जाता है. कई लोग इस समय पर अपने घर में मां दुर्गा का आह्वान करते हैं और कलश स्थापित करके पूजा प्रतिष्ठा करते हैं.
Shardiya Navratri से पहले करें घर की शुद्धि
Shardiya Navratri शुरू होने से पहले आपको अपने घर की शुद्धि का पूरी तरह से ध्यान देना होगा. आपको यह देखना होगा कि अगर आप मां दुर्गा का आह्वाहन अपने घर में करते हैं, व्रत करते हैं, पूजन करते हैं, हवन करते हैं, और उसके बाद कन्या को जीवाने की प्रक्रिया भी पूरी करते हैं तो, ऐसे में आपके घर को पूरी तरह से शुद्ध पवित्र और सकारात्मक होना बहुत ही जरूरी है, ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आप अपने घर से ऐसी चीजों को बाहर निकाल दें जिससे नकारात्मक ऊर्जा तेजी से बढ़ती है.
Navratri में तामसिक भोजन से रुष्ट हो जाती हैं भगवती
नवरात्रि में पवित्रता बेहद जरूरी है. इसलिए नवरात्रि शुरू होने से पहले घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए. क्योंकि मां दुर्गा ऐसे घर में वास करती है जहां पर स्वच्छता और शुद्धता का बहुत ही ज्यादा ध्यान रखा जाता है. खासकर इन दिनों में मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, यदि यह सारी चीजें आपके घर पर हैं और आप इनका सेवन नवरात्रि के दिनों में कर रहे हैं तो माता रानी रुष्ट हो जाती हैं ऐसी मान्यता है.
Shardiya Navratri में इन चीजों को दिखाएं बाहर का रास्ता
नवरात्रि के पावन पर्व पर देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए आपके घर की साफ-सफाई के साथ ही उन नकारात्मक चीजों को हटाना होगा जिससे नकारात्मक शक्तियां प्रभावित हो जाती हैं. इन में शामिल है घर में रखे हुए टूटे-फूटे बर्तन, टूटी-फूटी मूर्तियां, फटे पुराने कपड़े, बेकार जूते-चप्पल. आपको यह ध्यान रखना होगा कि यह सभी वस्तुएं नकारात्मकता फैलाती हैं. तो Shardiya Navratri शुरू होने से पहले ही साफ-सफाई के दौरान इन सभी चीजों को घर से बाहर कर देना चाहिए.
जली हुई माचिस की तीलियां होती हैं नकारात्मक
अक्सर घरों में देखा गया है कि पूजा स्थल पर दीपक जलाने के लिए माचिस का प्रयोग किया जाता है या फिर धूप जलाने के लिए भी लोग माचिस का प्रयोग करते हैं. और इस तरह से माचिस की जली हुई तीलियों को एक जगह पर एकत्रित कर देते हैं. अगर आपके घर में पूजा स्थल पर माचिस की जली हुई तीलियां रखी हैं तो इन्हें शारदीय नवरात्रि से पहले जरूर हटा लें.
Shardiya Navratri: अगरबत्ती के टुकड़ों को मंदिर में न रखें
इसके साथ ही जली हुई धूप या अगरबत्ती के टुकड़े भी लोग अपने घर के मंदिर में जमा करते हैं जिन्हें तुरंत हटा देना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि शुरू होने से पहले घर की साफ सफाई के साथ मंदिर की साफ-सफाई भी की जाती है और वहां से इस प्रकार की उपयोग की हुई चीजों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए. यदि आप ऐसा करने में सक्षम होते हैं तो माता रानी की कृपा आप पर जरूर बरसेगी.
Shardiya Navratri में महिषासुर के मर्दन का छुपा है रहस्य
Shardiya Navratri का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है. सभी भक्त माता देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और राक्षस महिषासुर के साथ हुए माता के युद्ध को विजय उत्सव के रूप में मनाते हैं. किवदंतियों के अनुसार इस युद्ध में 9 दिन और उतनी ही रातें लग गईं थीं. दशहरा जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है वह दसवें दिन मनाया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि दसवें दिन मां भगवती ने महिषासुर का अंत कर दिया था.
Shardiya Navratri इस बार 3 अक्टूबर से
इस साल नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर को समाप्त होगी. वैसे तो नवरात्रि साल में चार बार मनाई जाती है लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. माघ में गुप्त नवरात्रि और आषाढ़ में गुप्त नवरात्रि यह अन्य दो उत्सव और हैं. नवरात्रि में देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त 9 दिनों तक उपवास रखते हैं.
Shardiya Navratri भगवान राम से जुड़ी है ये पौराणिक कथा
Shardiya Navratri की कथा भी माता सीता और भगवान राम से जुड़ी हुई मानी जाती है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम ने लंका के राजा रावण के साथ अंतिम युद्ध से ठीक पहले देवी शक्ति की पूजा की थी. मान्यता है कि रावण के साथ अपने अंतिम युद्ध से पहले भगवान राम ने देवी दुर्गा की आराधना में 9 दिन बिताए थे. भगवान राम की प्रतिबद्धता से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उन्हें विजय श्री का वरदान दिया था. बता दें कि वेदों, पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथो में नवरात्रि का महत्व भगवान राम से जोड़कर भी बताया गया है.
भगवान राम ने स्वयं Shardiya Navratri का व्रत करके लंका पर की थी चढ़ाई
देवी भागवत में भगवान श्रीराम चंद्र जी द्वारा किए गए शारदीय नवरात्र के व्रत और शक्ति पूजन का विस्तृत वर्णन मिलता है. इसके अनुसार, श्रीराम की शक्ति-पूजा सम्पन्न होते ही जगदम्बा प्रकट हो गई थीं. शारदीय नवरात्र के व्रत का पारण करके दशमी के दिन श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई कर दी। कालान्तर में रावण का वध करके कार्तिक कृष्ण अमावस्या को श्रीरामचंद्र जी भगवती सीता को लेकर अयोध्या वापस लौट आए.
शारदीय नवरात्रि के दौरान भक्त देवी दुर्गा की पूजा करते हैं. और उनके लिए उपवास भी करते हैं. ताकि राक्षस महिषासुर पर उनके द्वारा किए गए वीरतापूर्ण युद्ध का सम्मान किया जा सके. इसे एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस युद्ध में 9 दिन और नवरात्रि व्यतीत हुईं थी.
दशहरा जिसे विजयादशमी के नाम से जाना जाता है वह दसवें दिन मनाते हैं और उस दिन लोग देवी दुर्गा की उपासना करने के साथ ही छोटी-छोटी कन्याओं को भोजन कराने का कार्य भी करते हैं जिन्हें प्रतीकात्मक रूप से मां दुर्गा का अवतार माना जाता है. कन्या पूजन करने के साथ ही लोग देवी दुर्गा के लिए हवन का भी प्रावधान रखते हैं माना जाता है की मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए भक्त उनका आह्वाहन भी करते हैं.
जीवन और सृजन से जुड़ा है Shardiya Navratri
इन नौ दिनों में देवी मां के भक्तगण उनकी पूजा करते हैं. इसके साथ ही दुर्गा स्त्रोत और दुर्गा चालीसा का पाठ भी करते हैं. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि अगर, नवरात्रि के दौरान भक्ति भाव से मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाए तो मां भगवती अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. नवरात्रि के प्रत्येक दिन से अलग-अलग दुर्गा मां का अवतार जुड़ा हुआ है. इसे हम प्रथमा, द्वितीया, तृतीया दिवस के रूप में मनाते हैं. शारदीय नवरात्रि को फसल उत्सव के रूप में भी कहीं-कहीं मनाया जाता है. जिसमें जीवन और सृजन के पीछे मातृशक्ति के रूप में मां भगवती की प्रशंसा की जाती है.
प्रत्येक सवंत्सर में चार नवरात्रि होते हैं. चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी पर्यन्त नौ दिन नवरात्रि कहलाते हैं. इन चार नवरात्रियों में दो गुप्त और दो प्रकट नवरात्रि होते हैं. चैत्र का नवरात्र वासन्तिक और आश्विन का नवरात्र शारदीय नवरात्र कहलाता है.